Skip to content
Friday, May 9, 2025
  • Home
  • Privacy Policy
  • Contact us
  • Sitemap
  • youtube
  • twitter
  • telegram
  • Up-grades initiative
  • Haryana Board Exam Material 2023-24
  • CBSE Project file Decoration Ideas 2023-24
  • Haryana Board Result 2023
  • BSEH Class 12 Economics Most Important Questions Haryana Board

Economics Online Class

All in one website for Economics Notes and videos

  • Syllabus
  • 11th Economics Notes
    • Statistics Notes in Hindi
  • 12th Economics Notes
    • Micro Economics Notes in Hindi
    • Macro Economics Notes inHindi
  • Online Tests
    • Class 12 Micro Economics Online Tests
    • Class 12 Macro Economics Online tests
    • Class 11 Economics Online Tests
  • Live Class
  • Edusat Videos
    • Class 12 Economics all EduSat Videos
    • Class 11 Economics all Edusat videos
  • Exam Corner
    • SAT Exam Practice Set
  • News
X
You are here
Home > 11thEconomicsNotes >

Class 11 Economics Chapter 7-Frequency Diagrams-Histogram, Polygon and Ogive

  • 11thEconomicsNotes
  • Class 11
  • Statistics for Economics notes
  • study material
by Eco_Admin - 24/08/202124/08/20210

Class 11 Economics Chapter 7-Frequency Diagrams-Histogram, Polygon and Ogive

अध्याय-7

आवृति चित्र : आयतचित्र, बहुभुज तथा तोरण वक्र (ओजाइव)

(Frequency Diagrams : Histogram, Polygon and Ogive)

 

आँकड़ों का चित्रीय प्रस्तुतीकरण (Diagrammatic Presentation of Data)

आँकड़ों को चित्रों द्वारा सरल, सुंदर और आकर्षक ढंग से प्रस्तुत किया जा सकता है। चित्रीय प्रस्तुतीकरण को  मुख्य रुप से तीन भागों में बाँटा जा सकता है-

  1. ज्यामितिक रूप : दण्ड आरेख, तथा वृतीय आरेख
  2. आवृति चित्र : आयत चित्र, बहुभुज तथा तोरण वक्र (ओजाइव)
  3. रेखीय ग्राफ अथवा कालिक श्रृंखला ग्राफ

  पिछले अध्याय में हम ज्यामितिक रूप : दण्ड आरेख, तथा वृतीय आरेख का अध्ययन कर चुके हैं। इस अध्याय में हम आवृति चित्र : आयत चित्र, बहुभुज तथा तोरण वक्र (ओजाइव) का विस्तार से अध्ययन करेंगें।  

 

आवृति चित्र (Frequency Diagrams)

जैसा कि नाम से स्पष्ट है कि आवृति चित्र उन सांख्यिकीय श्रृंखलाओं के चित्रीय प्रस्तुतीकरण को प्रकट करता है जिन्हें सांख्यिकी में ‘आवृति वितरण’ (Frequency Distribution) कहा जाता है। आवृति चित्र के 3 मुख्य रूप निम्नलिखित हैं-

  1. आयतचित्र
  2. बहुभुज
  3. तोरण वक्र या ओजाइव

 

1- आयतचित्र (Histogram)

आयतचित्र वह रेखाचित्र है जिसमें सतत श्रृंखलाओं से संबंधित मदों तथा उनकी आवृतियों को आयतों के रूप में ग्राफ पेपर पर प्रदर्शित किया जाता है। आयतचित्र बनाते समय चरों के मूल्यों को X-अक्ष पर तथा आवृतियों को Y-अक्ष पर प्रकट किया जाता है। और आवृतियों को विभिन्न वर्गान्तरों के अनुरूप आयतों के द्वारा दिखाया जाता है। आयतों की चौड़ाई अनुरूप वर्गान्तरों की चौड़ाई के अनुसार होती है।

आयतों की ऊंचाई वर्गान्तरों की आवृतियों के अनुपात में रखी जाती है। प्रत्येक वर्गान्तर की सीमाओं के माप बिंदुओं पर आवृति की ऊंचाई के बराबर लंबी रेखाएं खींचकर आयत बना लिए जाते हैं। आयत एक दूसरे से बाएं से दाएं ओर मिलते हैं।  यदि वर्ग अंतर असम्मिलित (Inclusive) है तो उसे सम्मिलित (Exclusive) बना देना चाहिए।  आयतचित्र, दंड-चित्र (Bar Diagram) से भिन्न होते हैं क्योंकि यह दो विमाओं वाले चित्र होते हैं।  इनमें आयत की लंबाई व चौड़ाई दोनों तुलना के उद्देश्य से प्रयोग किए जाते हैं। जबकि दण्ड-चित्रों में हम केवल दण्डों की लंबाई की तुलना करते हैं उनके क्षेत्रफल की तुलना नहीं करते।  यदि वितरण में आवृतियाँ प्रतिशत के रूप में प्रकट की गई है तो उन्हें प्रदर्शित करते समय मदों की संख्या के स्थान पर आवृतियों के प्रतिशत को अंकित किया जाता है।

नोट-

आयतचित्र केवल तब ही बनाए जाते हैं जब आंकड़े समूह आवृत्ति वितरण या सतत श्रृंखला के आवृत्ति वितरण के रूप में होते हैं। आयतचित्र कभी भी एक विविक्त चर के लिए या उन आंकड़ों के लिए जो एक विविक्त श्रृंखला का निर्माण करें, नहीं बनाए जाते। आयतचित्र दो प्रकार के होते हैं-

  1. समान वर्गान्तर वाले आयत चित्र
  2. असमान वर्गान्तर वाले आयत चित्र

A- समान वर्गान्तर वाले आयत चित्र (Histogram of equal intervals)

समान वर्ग अंतर वाले आयतचित्र वे आयतचित्र हैं जो समान वर्ग अंतर वाले आंकड़ों पर आधारित होते हैं।  जब श्रृंखला के वर्गान्तर (Class Intervals) एक समान हो तो आवृति आयतचित्रों की चौड़ाई एक समान होती है।  आयतों की लंबाई वर्गान्तरों की आवृत्तियों के अनुपात में होती है।  इसे हम निम्न उदाहरण से स्पष्ट कर सकते हैं-  

अंक विद्यार्थियों की संख्या
 0-10 5
10-20 10
20-30 15
30-40 20
40-50 12
50-60 8
60-70 4
Histogram of equal class intervals
Histogram of equal class intervals

 

B- असमान वर्गान्तर वाले आयत चित्र (Histogram of unequal intervals)

असमान वर्ग अंतर वाले आयतचित्र वे आयतचित्र हैं जो असमान वर्गान्तर वाले आंकड़ों पर आधारित होते हैं।  जब श्रृंखला के वर्गान्तर (Class Intervals) असमान हो तो आवृति आयतचित्रों की चौड़ाई एक समान नहीं होती है। वर्गों के आकार के अनुपात में चौड़ाई घटती-बढ़ती है। इस प्रकार की आवृत्तियों को आवृति-चित्र बनाने पहले समायोजित कर लिया जाता है। ऐसा करते समय सबसे पहले कम वर्गान्तर वाले वर्ग को लिया जाता है और दूसरे वर्गों के आवृतियों को क्रम के अनुसार लिखा जाता है। समायोजित तत्व को हम निम्न सूत्र से ज्ञात करते हैं- किसी वर्ग का समायोजित तत्व = वर्ग का वर्गान्तर/सबसे कम वर्गान्तर   इसे निम्न उदाहरण द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है-

साप्ताहिक वेतन मजदूरों की संख्या
10-15 7
15-20 10
20-25 27
25-30 15
30-40 12
40-60 12
60-80 8

 

ऊपर दी गई श्रेणी में वर्गों का वर्गान्तर असमान है। इसलिए आवृति-चित्र बनाने से पहले आवृतियों का समायोजन करना जरूरी है नहीं तो वह चित्र सही नहीं होगा। उपरोक्त आवृत्ति वितरण में न्यूनतम वर्गान्तर 5 का है इसके विपरीत कुछ वर्गान्तर 10 तथा 20 के भी हैं। इसलिए आयतचित्र बनाने से पहले आवृति घनत्व की गणना करनी चाहिए। आवृतियों को समायोजित तत्व से भाग देने पर जो संख्या आती है उसे आवर्ती घनत्व कहा जाता है अर्थात

आवृति घनत्व = आवर्ती/समायोजित तत्व

इसलिए इस तालिका को समायोजित कर के निम्न प्रकार से लिखा जाएगा-

साप्ताहिक वेतन मजदूरों की संख्या समायोजित तत्व आवृति घनत्व
10-15 7 5/5=1 7/1=7
15-20 10 5/5=1 10/1=10
20-25 27 5/5=1 27/1=27
25-30 15 5/5=1 15/1=15
30-40 12 10/5=1 12/2=6
40-60 12 20/5=4 12/4=3
60-80 8 20/5=4 8/4=2
 

 

Histogram of unequal class intervals

(Class 11 Economics Chapter 7-Frequency Diagrams-Histogram, Polygon and Ogive)

2- बहुभुज (Polygon)

बहुभुज आंकड़ों के चित्र प्रस्तुतीकरण का एक अन्य रूप है। यह आयतचित्र के प्रत्येक आयत के शीर्ष के मध्य बिंदुओं को सरल रेखाओं द्वारा मिलाकर बनाया जाता है। आयतचित्र को पहले बनाए बिना भी आवृति बहुभुज खींचा जा सकता है। इसके लिए हर वर्ग के मध्य बिंदु के मूल्य को ग्राफ पेपर पर X-अक्ष पर अंकित कर लिया जाता है तथा आवृतियों को वाई-अक्ष पर अंकित किया जाता है। पैमाने की सहायता से विभिन्न वर्गों की आवृतियों को दर्शाने वाले बिंदुओं को सरल रेखाओं द्वारा मिला दिया जाता है। इसके फलस्वरूप जो रेखा चित्र बनता है उसे आवृति बहुभुज कहा जाता है। आवृति बहुभुज के दोनों किनारों को आधार रेखा तक बढ़ा दिया जाता है। ऐसा इसलिए किया जाता है जिससे बहुभुज का क्षेत्रफल आयत के क्षेत्रफल के बराबर हो जाए।

Polygon

आयतचित्र तथा आवृति बहुभुज में क्या अंतर है?

एक आयतचित्र, आवृति-बहुभुज बन जाता है यदि हम आयतचित्र के सभी आयतों की ऊपरी भुजा के मध्य बिंदुओं को मिलाती हुई एक रेखा खींच दे। यह ध्यान रखना चाहिए कि मध्य बिंदुओं को एक पैमाने से मिला जाए जिससे सीधी रेखा खींची जा सके। इसके अतिरिक्त एक ग्राफ पेपर पर एक से अधिक आवृति बहुभुज खींचे जा सकते हैं। परंतु एक से अधिक आयत नहीं खींचे जा सकते अतः जब दो आवृति बंटवारे की तुलना करनी हो तो आयत के स्थान पर आवृति बहुभुज द्वारा आंकड़ों को प्रस्तुत करना अधिक उपयुक्त होता है। जब तुलना की जाती है तो आवृति बहुभुजों  की रचना आवृतियों के पूर्ण मूल्य के स्थान पर प्रतिशत का मूल्य प्रयोग करके की जाती है।  

 

2 (A)-  आवृति वक्र (Frequency Curve) आवृत्ति वक्र यह बहुभुज का एक दूसरा रूप है। आवृत्ति वक्र, आवृति बहुभुज का मुक्त हस्त (Free Hand) रीति से खींचा हुआ सरलित (Smoothed) रूप है। आवृत्ति वक्र का क्षेत्रफल आवृति बहुभुज के बराबर होता है। आवृत्ति वक्र बनाने के लिए यह प्रयत्न करना पड़ता है कि आवृति बहुभुज की कोणीयता (Angularity) समाप्त हो जाए।  इसे बनाने के लिए आवृति बहुभुज को सीधी रेखाओं द्वारा न मिलाकर मुक्त हस्त निषकोण वक्रों द्वारा मिलाया जाता है।

Frequency Curve

(Class 11 Economics Chapter 7-Frequency Diagrams-Histogram, Polygon and Ogive)

3- तोरण वक्र या संचयी आवृति वक्र (Ogive)

ओजाइव या संचयी आवृति वक्र, वह वक्र है जो ग्राफ-पेपर पर संचयी आवृतियों को अंकित कर के बनाया जाता है।

ओजाइव या संचयी आवृति की रचना-

ओजाइव या संचयी आवृति की रचना 2 प्रकार से की जा सकती है-

1) ‘से कम’ विधि- ‘से कम’ विधि या ऊपरी सीमाओं की ओर बढ़ती हुई संचयी आवृत्तियाँ। इस विधि में हम निचली सीमाओं से आरंभ करते हैं और आवृतियों को जोड़ते जाते हैं। उदाहरणतया अगर एक श्रृंखला में 0-5, 5-10, 10-15 वर्गान्तर हो तो हम 5 से कम की आवृतियाँ निकालेंगे, फिर 10 से कम और फिर 15 से कम आवृतियाँ निकालेंगे। इन आवृतियों को जोड़कर बढ़ता हुआ वक्र बन जाता है, जिसे हम ‘से कम’ ओजाइव कहते हैं।  

2) ‘से अधिक’ विधि- ‘से अधिक’ विधि यानी निचली सीमाओं की ओर घटती हुई संचयी आवृत्ति विधि में हम ऊपरी सीमाओं से आरंभ करके आकृतियों को घटाते जाते हैं। जैसा कि अगर एक श्रृंखला में 0-5,5-10,10-15 वर्गान्तर हो तो हम 0 से अधिक आवृतियाँ निकालेंगे, फिर 5 से अधिक और 10 से अधिक आवृतियाँ निकालेंगे। इन आवृतियों को जोड़ने से हमें एक घटता हुआ वक्र प्राप्त होता है जिसे ‘से अधिक’ ओजाइव कहते हैं।

 

से कम तथा से अधिक ओजाइव में आधारभूत अंतर

से कम ओजाइव में आवृत्ति वितरण के प्रथम वर्ग की ऊपरी सीमा से ही आवृतियों को जोड़ा जाता है। इसके विपरीत से अधिक ओजाइव की आवृत्ति वितरण के प्रथम वर्ग की निचली सीमाओं से आवृतियों को जोड़ा जाता है। इसलिए से कम ओजाइव वक्र में संचयी आवृत्तिया बढ़ती जाती है। जबकि से अधिक ओजाइव में संचयी  आवृत्तिया कम होती जाती हैं। इसे हम निम्न उदाहरण से स्पष्ट कर सकते हैं-

अंक 0-5 5-10 10-15 15-20 20-25 25-30 30-35 35-40
विद्यार्थी 4 6 10 10 25 22 18 5

 

 

 

 

संचयी आवृति तालिका

से कम ओजाइव से कम ओजाइव
अंक संचयी आवृति अंक संचयी आवृति
5 से कम 4 0 से अधिक 100
10 से कम 4+6=10 5 से अधिक 100-4=96
15 से कम 10+10=20 10 से अधिक 96-6=90
20 से कम 20+10=30 15 से अधिक 90-10=80
25 से कम 30+25=55 20 से अधिक 80-10=70
30 से कम 55+22=77 25 से अधिक 70-25=45
35 से कम 77+18=95 30 से अधिक 45-22=23
40 से कम 95+5=100 35 से अधिक 23-18=5
    40 से अधिक  
 

 

Less than ogive

(Class 11 Economics Chapter 7-Frequency Diagrams-Histogram, Polygon and Ogive)

You may also like to Visit : कक्षा ग्यारहवीं अर्थशास्त्र के नोट्स हिन्दी माध्यम में पढ़ने के लिए यह क्लिक करें।

You may also like to Visit : अर्थशास्त्र के विडिओ और लाइव क्लास जॉइन करने के लिए यहाँ क्लिक करें।  

Share this:

Tagged Statistics for economics
Eco_Admin
https://economicsonlineclass.com

Post navigation

Previous article
Class 11 Economics Chapter 6-Diagrammatic Presentation of Data-Bar and Pie Diagrams
Next article
SAT exam practice set

Leave a ReplyCancel reply

Important Links

Haryana Edu MIS
Intra Haryana
HRMS Haryana
E-Salary Haryana

Up-grades initiative

Posted on 03/02/202403/02/20240

Haryana Board Exam Material 2023-24

Posted on 02/01/202402/01/20240

CBSE Project file Decoration Ideas 2023-24

Posted on 21/12/202321/12/20230

Categories

  • 11thEconomicsNotes
  • 12thEconomicsNotes
  • announcements
  • BSEH result
  • Class 11
  • class 12
  • Class 12 Answer Key
  • Economics Notes
  • economics online test
  • Edusat
  • Exams
  • Haryana board (BSEH)
  • hbse
  • Macro Economics
  • Macro Economics notes in Hindi
  • macro economics online test
  • Micro Economics
  • Micro Economics notes in English medium
  • micro economics online test mcq
  • MicroEconomics
  • news
  • Online test
  • onlinetest
  • Project File
  • Sample Paper
  • sat exam
  • Solution of Exams
  • Statistics for Economics notes
  • study material
  • syllabus
  • Uncategorized
  • videos

Tags

answer key Class 11 Economics Notes class 12 class 12 Economics Notes class 12 micro economics notes in class 12 Sample paper economics notes economics notes in English economics notes pdf download Economics online test mcq edusat exam material exams Haryana Board sample paper hindi macro economics macro economics notes in Hindi macro economics online test micro economics micro economics notes in English medium micro economics notes in Hindi micro economics online test mcq numeric solutions online test onlinetest project file ideas sat exam solution of board papers solution of exams solution of numerical Statistics for economics study material syllabus
© 2025
Powered by WordPress | Theme: AccessPress Mag
  • Home
  • Privacy Policy
  • Contact us
  • Sitemap
Top
Exit mobile version
%%footer%%