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Class 11 Economics Chapter 3-Census and Sample Methods of Collection of Data

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by Eco_Admin - 06/07/202106/07/20210

Class 11 Economics Chapter 3-Census and Sample Methods of Collection of Data notes in Hindi

अध्याय 3- आंकड़ों के संकलन की जनगणना (CENSUS) तथा प्रतिदर्श (SAMPLE) विधियां

Census and Sample Methods of Collection of Data

मान लीजिए एक गांव में 1000 परिवार रहते हैं। और एक अनुसंधानकर्ता को उस गांव के निवासियों के बारे में अनुसंधान करना है। उसे उनकी आय, रहन-सहन के स्तर, जमीन, शैक्षिक स्तर इत्यादि के बारे में अनुसंधान करना है। इस उद्देश्य की प्राप्ति के लिए वह दो तरीकों से आंकड़ों का संकलन कर सकता है। पहली विधि तो यह कि वह गांव के प्रत्येक परिवार के पास जाएं और अपने आंकड़े एकत्रित करें। दूसरी विधि यह है कि अनुसंधानकर्ता सभी 1000 परिवारों के संबंध में सूचना एकत्रित न करके केवल कुछ परिवारों के संबंध में सूचना एकत्रित करें जो सब का प्रतिनिधित्व करते हैं। और अपना निष्कर्ष निकाल लें।

सांख्यिकी के अनुसार, पहली विधि जनगणना (CENSUS) विधि तथा दूसरी विधि प्रतिदर्श (SAMPLE) विधि कहलाती है। यह दोनों विधियाँ आंकड़ों के संकलन की मुख्य विधियां है। इन दोनों विधियों के अपने-अपने गुण और दोष है। आज के अध्याय में हम इन्हें दो विधियों के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे।

जनगणना (CENSUS) और प्रतिदर्श (SAMPLE) की अवधारणा

Concept of Census and Sample Methods

सांख्यिकी में किसी विषय से संबंधित उन सभी मदों के कुल समूह को समग्र (Universe/Whole) या जनसंख्या (Population) कहा जाता है, जिसके विषय में जानकारी प्राप्त करनी है। कुछ विद्वान इसे समष्टि भी कहते हैं। सामान्य बोलचाल की भाषा में जनसंख्या शब्द का प्रयोग किसी देश में एक निश्चित समय में रहने वाले उन व्यक्तियों के लिए किया जाता है। परंतु सांख्यिकी में जनसंख्या शब्द का प्रयोग विशेष अर्थों में किया जाता है।

सांख्यिकी में जनसंख्या उन सभी मदों के समूह को कहा जाता है जिनके विषय में हमें सूचना एकत्रित करना चाहते  हैं। ऊपर दिए गए उदाहरण में उस गांव के 1000 परिवार समग्र या जनसंख्या कहलाएंगे। जनसंख्या की एक इकाई को मद (Item) कहा जाता है। अन्य शब्दों में उस गांव के 1000 परिवार जनसंख्या है तथा उनमें से कोई एक परिवार मद कहलाता है।

यदि सांख्यिकी अनुसंधान, समग्र की सभी मदों पर आधारित हो तब इसे जनगणना (CENSUS) विधि कहा जाता है।

इसके विपरीत समग्र की सभी मदों को न लिया जाए, बल्कि समग्र में से केवल एक प्रतिदर्श (SAMPLE) को लेकर अनुसंधान किया जाए तो इसे प्रतिदर्श (SAMPLE) विधि कहा जाता है।

ऊपर दिए गए उदाहरण में यदि हम 1000 परिवारों के बारे में अनुसंधान न करके यदि 100 या 200 परिवारों के आधार पर अनुसंधान करते हैं तो इसे प्रतिदर्श (SAMPLE) विधि कहा जाएगा| परंतु यहां यह बात ध्यान रखने योग्य है कि यह 100 या 200 परिवार समग्र का उचित प्रतिनिधित्व करते हो, यह आवश्यक शर्त है।

इसे एक अन्य उदाहरण द्वारा बड़ी सरलता से समझा जा सकता है। घर में गृहणी जब चावल बनाती है तो वह हर चावल को चेक नहीं करती कि वह पक गए हैं या नहीं बल्कि एक चम्मच में थोड़े चावल लेकर सभी के बारे में अनुमान लगा लेती है कि चावल पक गए हैं अथवा नहीं। यह प्रतिदर्श (SAMPLE) विधि का बहुत ही सामान्य उदाहरण है।

सांख्यिकीय अनुसंधान की दो विधियां होती हैं- जनगणना (CENSUS) विधि और प्रतिदर्श (SAMPLE) विधि। (Census and Sample methods)

1- जनगणना (CENSUS) विधि

Census Method of Collection of Data

जनगणना (CENSUS) विधि वह विधि है जिसमें किसी अनुसंधान से संबंधित सामग्री या जनसंख्या की प्रत्येक मद के संबंध में आंकड़े एकत्रित किए जाते हैं तथा इनके आधार पर निष्कर्ष निकाले जाते हैं। भारत की जनगणना (Census of India) के लिए जनगणना (CENSUS) विधि का ही प्रयोग किया जाता है। जनगणना (CENSUS) विधि समग्र या जनसंख्या की पूर्ण गणना को दर्शाती है। भारत में जनगणना (CENSUS) प्रति 10 साल बाद होती है।

उपयुक्तता

यह ऐसे अनुसंधानों के लिए उपयुक्त है-

1- जिनका क्षेत्र सीमित हो

2- जिनमें विभिन्न गुणों वाली इकाई हो

3- जिनमें गहन अध्ययन की आवश्यकता हो

4- जिनमें शुद्धता तथा विश्वसनीयता की आवश्यकता हो।

जनगणना (CENSUS) विधि के गुण

1-विश्वसनीयता तथा शुद्धता-

जनगणना (CENSUS) विधि द्वारा प्राप्त आंकड़ों में सर्वाधिक विश्वसनीयता तथा शुद्धता होती है। क्योंकि इसमें प्रत्येक मद के संबंध में आंकड़े एकत्रित किए जाते हैं।

2-पक्षपात की कम संभावना-

जनगणना (CENSUS) विधि द्वारा आंकड़े एकत्रित करने में पक्षपात की संभावना कम हो जाती है। इसके अंतर्गत अनुसंधानकर्ता न केवल उन्हीं मदों से संबंधित आंकड़ों का संकलन करता जो उसके अनुसार उचित उचित हो बल्कि सभी मदों से संबंधित आंकड़ों का संकलन किया जाता है।

3-विस्तृत सूचना-

जनगणना (CENSUS) विधि द्वारा प्रत्येक मद के विषय में अनेक बातों का पता चलता है। उदाहरण के लिए जनगणना (CENSUS) से केवल लोगों की संख्या का ही पता नहीं चलता बल्कि उनकी आयु, व्यवसाय आदि के विषय में भी जानकारी प्राप्त हो जाती है। इसलिए इस विधि द्वारा विस्तृत सूचना प्राप्त होती है।

4-विभिन्न विशेषताओं का अध्ययन-

किसी सांख्यिकी समूह या जनसंख्या की मदें एक दूसरे से काफी भिन्न होती हैं तथा प्रतिदर्श (SAMPLE) प्रणाली का प्रयोग करना कठिन होता है तो वहां इस प्रणाली का प्रयोग लाभदायक होता है।

5-मिश्रित अनुसंधान का अध्ययन-

यदि अनुसंधान के प्रकृति इस प्रकार है कि सांख्यिकी समूह की प्रत्येक मध्य का अध्ययन करना आवश्यक है तो इस विधि का प्रयोग ही लाभदायक होता है।

6-अप्रत्यक्ष जाँच-

जनगणना (CENSUS) विधि ऐसी समस्याओं के अध्ययन के लिए भी उपयोगी है जिनका ध्यान प्रत्यक्ष रूप से सांख्यिकी के अंतर्गत नहीं हो सकता जैसे बेरोजगारी आदि

जनगणना (CENSUS) विधि के अवगुण या दोष

1-खर्चीली विधि-

जनगणना (CENSUS) विधि एक खर्चीली विधि है| इसके लिए अधिक धन की आवश्यकता होती है। इसलिए इस विधि को सरकार या बड़ी संस्थाएं ही अपना सकती है।

2-अधिक मानव शक्ति-

जनगणना (CENSUS) विधि के लिए अत्यधिक मानव शक्ति की आवश्यकता होती है| गणनाकारों की एक बड़ी संख्या के लिए प्रशिक्षण आवश्यक हो जाता है जो कि एक जटिल प्रक्रिया है।

3-विशाल अन्वेषण के संबंध में उपयुक्त नहीं है-

यदि सांख्यिकी समूह बहुत ही विशाल है तो सभी मदों से संपर्क करना संभव नहीं होता इस स्थिति में जनगणना (CENSUS) विधि उपयोगी नहीं होती।

4-अधिक समय-

जनगणना (CENSUS) विधि द्वारा आंकड़े एकत्रित करने में अधिक समय लगता है। क्योंकि इस विधि में प्रत्येक मद से संबंधित आंकड़े एकत्रित किए जाते हैं।

2- प्रतिदर्श (SAMPLE) विधि

Sample Method for Collection of Data

प्रतिदर्श/न्यादर्श विधि वह विधि है जिसमें प्रतिदर्श (SAMPLE) अर्थात किसी समग्र का प्रतिनिधित्व करने वाले छोटे समूह से संबंधित आंकड़े एकत्रित किए जाते हैं तथा उनके निष्कर्ष निकाले जाते हैं। हम दैनिक जीवन में इस विधि का प्रयोग करते रहते हैं। एक गृहणी चावल के 2-3 दाने देखकर ही यह तय कर लेती है कि चावल कच्चे हैं या पक गए हैं। एक डॉक्टर रक्त की कुछ बूंदों का परीक्षण करके एक व्यक्ति के ब्लड ग्रुप और बीमारी इत्यादि के बारे में जानकारी प्राप्त कर लेता है।

प्रतिदर्श (SAMPLE) विधि की उपयुक्तता

प्रतिदर्श (SAMPLE) विधि निम्नलिखित दशाओं के लिए अधिक उपयुक्त होती है-

1-जब अनुसंधान का क्षेत्र बहुत अधिक विस्तृत हो

2-जब उच्च स्तर की शुद्धता आवश्यक न हो

3-जब विभिन्न इकाइयों के अत्यधिक परीक्षण की आवश्यकता हो

4-जब समग्र की सभी इकाइयां लगभग एक जैसी हो।

प्रतिदर्श (SAMPLE) विधि के गुण

1-कम खर्चीली-

सर्वेक्षण के प्रतिदर्श विधि कम खर्चीली है। इसमें धन, मेहनत व समय की बचत होती है। क्योंकि समग्र की केवल कुछ ही इकाइयों का अध्ययन किया जाता है।

2-समय की बचत-

प्रतिदर्श (SAMPLE) प्रणाली के द्वारा आंकड़ों का शीघ्रतापूर्वक संकलन किया जा सकता है। क्योंकि मदों की संख्या कम होती है| इस प्रकार समय की बचत होती है।

3-गलती की पहचान-

इस विधि में केवल सीमांत मदों का अध्ययन किया जाता है। इसलिए गलती की पहचान करना आसान होता है। इस कारण से यह विधि अधिक विश्वसनीय होती है।

4-विशाल अन्वेषण-

विशाल क्षेत्रों में अन्वेषण की स्थिति में प्रतिदर्श (SAMPLE) विधि अधिक उपयोगी है क्योंकि जनगणना (CENSUS) विधि के प्रयोग पर बहुत अधिक ध्यान श्रम और समय खर्च करना पड़ेगा।

5-प्रशासनिक सुविधा-

इस विधि में सर्वेक्षण का संगठन तथा प्रशासन अधिक सुविधापूर्वक ढंग से किया जा सकता है। अधिक निपुण तथा योग्य प्रश्नकर्ता नियुक्त किए जा सकते हैं।

6-अधिक वैज्ञानिक-

रोनाल फिशर के अनुसार प्रतिदर्श (SAMPLE) विधि अधिक वैज्ञानिक होती है। क्योंकि आंकड़ों की अन्य न्यादर्शों द्वारा जांच की जा सकती है।

प्रतिदर्श (SAMPLE) विधि के अवगुण या दोष

1-पक्षपातपूर्ण-

प्रतिदर्श (SAMPLE) विधि में पक्षपात की संभावना होती है क्योंकि अनुसंधानकर्ता केवल उन्हीं मदों को प्रतिदर्श (SAMPLE) के रूप में चुन सकता है जो उसे पसंद होती हैं।

2-अशुद्ध निष्कर्ष-

इस विधि में यदि गलत प्रतिदर्श (SAMPLE) चुने जाएं तो निष्कर्ष भी अशुद्ध निकलेंगे।

3-प्रतिनिधि प्रतिदर्श (SAMPLE) के चुनाव में कठिनाई-

एक अनुसंधानकर्ता के लिए कई बार ऐसा प्रतिदर्श (SAMPLE) का चुनाव कठिन हो जाता है जो समग्र का पूर्ण रूप से प्रतिनिधित्व करें।

4-सैंपल बनाने में कठिनाई-

कई बार सांख्यिकी समूह में इतना विविध होता है कि प्रतिदर्श (SAMPLE) बनाना संभव नहीं होता।

5-विशिष्ट ज्ञान-

प्रतिदर्श (SAMPLE) की विधि एक तकनीकी विधि है| समग्र में से उपयुक्त प्रतिदर्श (SAMPLE) लेने के लिए विशेष ज्ञान की आवश्यकता होती है| वह व्यक्ति जिन्हें प्रतिदर्श (SAMPLE) की सभी विधियों का ज्ञान होता है, आसानी से पर्याप्त नहीं होते हैं।

एक अच्छे प्रतिदर्श (SAMPLE) के आवश्यक तत्व

Essentials of a Good Sample

एक प्रतिदर्श (SAMPLE) या सैंपल में निम्नलिखित तत्व होने चाहिए तभी निष्पक्ष और यथार्थवादी निष्कर्ष निकाले जा सकते हैं-

1-प्रतिनिधित्व-

प्रतिदर्श (SAMPLE) इस प्रकार का होना चाहिए कि वह सांख्यिकी समूह के सभी विशेषताओं का पूर्ण प्रतिनिधित्व करें। यह तभी संभव हो सकता है जब संख्यिकी समूह के प्रत्येक इकाई को प्रतिदर्श (SAMPLE) के रूप में चुने जाने का समान अवसर प्राप्त हो।

2-स्वतंत्र-

समग्र के सभी एक दूसरे से स्वतंत्र होने चाहिए इसका अर्थ है कि किसी एक इकाई का प्रतिदर्श (SAMPLE) में शामिल होना दूसरी पर निर्भर नहीं होना चाहिए।

3-सजातीयता-

यदि किसी समूह में दो या दो से अधिक सैंपल छांटे जाए तो उन्हें समानता होनी चाहिए और उनकी विशेषताएं एक जैसी होनी चाहिए।

4-पर्याप्तता- 

प्रतिदर्श के रूप में चुने वाली इकाइयों की संख्या पर्याप्त होनी चाहिए तभी विश्वसनीय निष्कर्ष निकाले जा सकते हैं।

संक्षेप में हम कह सकते हैं कि एक अच्छा प्रतिदर्श (SAMPLE) संपूर्ण समग्र की विशेषताओं का प्रदर्शन करने योग्य तथा निष्कर्ष निकालने के लिए पर्याप्त होना चाहिए।

प्रतिदर्श (SAMPLE) की विधियां

Methods of Sampling

समग्र या जनसंख्या में से प्रत्यय दर्श का चुनाव करने के लिए निम्न विधियों का प्रयोग किया जाता है-

  • 1-यादृच्छिक प्रतिदर्श
  • 2-सविचार प्रतिदर्श
  • 3-स्तरित प्रतिदर्श
  • 4-व्यवस्थित प्रतिदर्श
  • 5-कोटा प्रतिदर्श
  • 6-सुविधानुसार प्रतिदर्श

1-यादृच्छिक प्रतिदर्श

Random Sampling

यादृच्छिक प्रतिदर्श वह विधि है जिसके अंतर्गत समग्र की प्रत्येक इकाई के प्रतिदर्श (SAMPLE) के रूप में चुने जाने के समान अवसर होते हैं। प्रतिदर्श (SAMPLE) में कौन सी इकाई शामिल होगी और कौन सी नहीं, इस बात का निर्णय अनुसंधानकर्ता अपनी इच्छा से नहीं करता बल्कि इकाई चुनने का संपूर्ण रूप से अवसर या दैव (chance) या भाग्य पर छोड़ दिया जाता है। यह विधि वहां उपयुक्त होती है जहां समग्र की इकाइयाँ समरूप होती हैं। यह विधि पक्षपात रहित तथा कम खर्चीली है।

यादृच्छिक प्रतिदर्श के अनुसार प्रतिदर्श (SAMPLE) चुनने की मुख्य विधियां निम्नलिखित है-

a) लॉटरी विधि- इस विधि में समग्र की सभी इकाइयों के पर्चियाँ बना ली जाती है| एक निष्पक्ष व्यक्ति या अनुसंधानकर्ता स्वयं आंखें बंद करके उतनी पर्चियां उठा लेता है जितनी इकाइयां प्रतिदर्श (SAMPLE) में शामिल की जानी होती हैं|

b) यादृच्छिक संख्याओं की तालिकाएँ- कई विद्वानों ने संख्याओं की सारणियों का निर्माण किया है। इनकी सहायता से प्रतिदर्श (SAMPLE) चुनने में सहायता मिलती है। इन विभिन्न श्रेणियों में टिप्पेट तालिका अधिक प्रसिद्ध तथा प्रचलित है| टिप्पेट ने 41600 अंकों के प्रयोग से 10400 चार-चार अंकों की संख्याओं का चुनाव किया है। इस विधि के अनुसार समग्र की सभी मदों को क्रमबद्ध लिखा जाता है। इसके पश्चात टिप्पेट तालिका की सहायता से जितने प्रतिदर्श (SAMPLE) चाहिए उनके अनुसार संख्याओं का चुनाव कर लिया जाता है।

यादृच्छिक प्रतिदर्श विधि के गुण

1-इस विधि में पक्षपात की संभावना नहीं होती

2-समग्र की प्रत्येक इकाई को चुनाव का समान अवसर प्राप्त होता है।

3-प्रतिदर्शों की शुद्धता का अनुमान लगाया जा सकता है।

4-यह एक सरल विधि है जिसमें अनुसंधानकर्ता के समय तथा मेहनत की बचत होती है।

यादृच्छिक प्रतिदर्श विधि के अवगुण

1-यदि प्रतिदर्श (SAMPLE) का आकार छोटा है तो इस विधि द्वारा सांख्यिकी समूह का उचित प्रतिनिधित्व नहीं होता।

2-यदि सांख्यिकी समूह के कुछ इकाइयां इतनी महत्वपूर्ण है कि उनका प्रतिदर्श (SAMPLE) में शामिल होना आवश्यक है तो यह विधि उपयुक्त नहीं होगी।

यादृच्छिक प्रतिदर्श (SAMPLE) विधि का सबसे सामान्य उपयोग चुनाव के समय एग्जिट पोल (Exit Poll) निकालने में होता है। अखबार तथा न्यूज़ चैनल वाले इस विधि द्वारा मतदान केंद्र से बाहर आते हुए लोगों की राय जानकर चुनाव में विजेता के बारे में अनुमान लगाते हैं।

2-सविचार प्रतिदर्श

Purposive or Deliberate Method

सविचार प्रतिदर्श विधि वह विधि है जिसके अंतर्गत अनुसंधानकर्ता समग्र में से अपनी इच्छानुसार प्रतिदर्श (SAMPLE) के रूप में ऐसी इकाइयाँ लेता है, जो उसकी राय में समग्र का प्रतिनिधित्व करती हैं. इस विधि में प्रतिदर्श (SAMPLE) का चुनाव किसी आकस्मिक विधि द्वारा नहीं किया जाता बल्कि अनुसंधानकर्ता की इच्छा अनुसार किया जाता है। यह विधि उस अनुसंधान के लिए महत्वपूर्ण है जिसमें कुछ इकाइयां इतनी अधिक महत्वपूर्ण है कि उनको प्रतिदर्श (SAMPLE) में शामिल करना आवश्यक हो। उदाहरण के लिए दिए भारतवर्ष में मोबाइल उद्योग का सर्वेक्षण करना हो तो यह जिओ को शामिल किए बिना अधूरा रह जाएगा।

सविचार प्रतिदर्श विधि के गुण

1-यह विधि कम खर्चीली है

2-यह विधि सरल है

3-यह विधि क्षेत्रों में उपयोगी है जिनमें लगभग 1 जैसी इकाइयाँ हो या जहां कुछ इकाइयां इतनी महत्वपूर्ण हो कि उनका शामिल करना आवश्यक हो।

सविचार प्रतिदर्श विधि के अवगुण

1-पक्षपात की अधिक संभावना होती है

2-पक्षपात की संभावना के फलस्वरुप इस विधि के विश्वसनीयता संदेहपूर्ण हो जाती है।

3-स्तरित या मिश्रित प्रतिदर्श

Stratified or Mixed Sampling

प्रतिदर्श (SAMPLE) की यह विधि उसमें अपनाई जाती है जब समग्र की इकाइयाँ एक समान न होकर विभिन्न विशेषताओं वाली होती है। स्तरित प्रतिदर्श विधि के अंतर्गत समग्र की इकाइयों को उनकी विशेषताओं के अनुसार विभिन्न भागों में बांट लिया जाता है तथा प्रत्येक भाग से यादृच्छिक विधि द्वारा अलग-अलग प्रतिदर्श (SAMPLE) का चुनाव किया जाता है जो उस भाग का प्रतिनिधित्व करते हैं।. इस विधि को मिश्रित विधि भी कहा जाता है क्योंकि यह विधि से सविचार प्रतिदर्श तथा यादृच्छिक प्रतिदर्श विधि का मिश्रण है। इस विधि में समग्र का विभिन्न भागों में विभाजन किसी गुण विशेष के आधार पर से विचार द्वारा होता है। परंतु विभिन्न भागों में से प्रतिदर्श (SAMPLE) का चुनाव यादृच्छिक विधि द्वारा किया जाता है।.

उदाहरण: मान लीजिए कक्षा ग्यारहवीं में 50 छात्र हैं, उनमें से 30 ने गणित विषय तथा 20 ने अर्थशास्त्र विषय लिया था। इन्हें हम 2 भाग अर्थात गणित पढ़ने वाले छात्र और अर्थशास्त्र पढ़ने वाले छात्रों में बाँटकर इनमें से यादृच्छिक प्रतिदर्श (SAMPLE) विधि द्वारा आवश्यकता अनुसार अलग-अलग प्रतिदर्श (SAMPLE) छाँट लेते हैं।

यदि हमें कुल 5 विद्यार्थी छाँटने हो तो हम इन्हें अनुपात में अर्थात 3 गणित विषय से तथा 2 अर्थशास्त्र विषय से छाँट सकते हैं। यदि हम अनुपात में छाँटते हैं तो इसे अनुपातिक विधि कहा जाता है| इसके विपरीत बिना अनुपात के यदि प्रतिदर्श (SAMPLE) छांटे जाए तो इसे गैर-अनुपातिक विधि कहा जाएगा|

स्तरित या मिश्रित प्रतिदर्श विधि के गुण

1-इस विधि में इकाइयों के अधिक प्रतिनिधित्व की संभावना होती है।

2-इस विधि में विभिन्न स्तरों के तत्वों के आधार पर तुलनात्मक अध्ययन संभव होता है।

3- यादृच्छिक प्रतिदर्श (SAMPLE) की यह विधि विश्वस्तरीय और अर्थपूर्ण परिणाम देती है।

स्तरित या मिश्रित प्रतिदर्श विधि के अवगुण

1-इस विश्व विधि का क्षेत्र सीमित होता है क्योंकि यह विधि तभी अपनाई जा सकती है। जब समग्र तथा उसके विभिन्न भागों की जानकारी हो।

2-यदि समग्र को हम विभिन्न भागों में उचित प्रकार से नहीं बांटा गया है तो पक्षपात की संभावना हो सकती है तथा निष्कर्ष गलत निकल सकते हैं।

3-यदि जनसंख्या का आकार बहुत छोटा है तो उसे और अधिक छोटे-छोटे भागों में बांटना कठिन होता है।

4-व्यवस्थित प्रतिदर्श

Systematic Sampling

व्यवस्थित प्रतिदर्श की विधि में समग्र इकाइयों को संख्यात्मक, भौगोलिक या वर्णनात्मक आधार पर क्रमबद्ध करके पहली इकाई का चुनाव यादृच्छिक विधि से करके प्रतिदर्श प्राप्त किए जाते हैं। उदाहरण के लिए 100 विद्यार्थियों में से 10 विद्यार्थी चुनने हैं तो इन्हें संख्यात्मक आधार पर क्रमबद्ध करके प्रत्येक दसवें विद्यार्थियों को प्रतिदर्श (SAMPLE) में शामिल किया जाएगा। यदि पहला प्रतिदर्श (SAMPLE) पांचवी संख्या है तो बाकी संख्याएं 15वीं, 25वीं, 35वीं, 45वीं, 55वीं, 65 वीं, 75वीं,85वीं तथा 95वीं होगी। यह विधि यादृच्छिक विधि का ही एक रूप है।

व्यवस्थित प्रतिदर्श विधि के गुण

1-यह एक सरल प्रणाली है

2-इसके द्वारा प्रतिदर्श (SAMPLE) प्राप्त करने आसान होते हैं

3-इस विधि में पक्षपात की संभावना कम होती है।

व्यवस्थित प्रतिदर्श विधि के अवगुण

1-इस विधि में प्रत्येक इकाई को चुनाव का समान अवसर प्राप्त नहीं होता क्योंकि पहली इकाई का चुनाव तो यादृच्छिक प्रतिदर्श (RANDOM SAMPLE) के आधार पर किया जाता है। परंतु बाकी इकाइयाँ, पहली इकाई के चुनाव पर निर्भर करती हैं।

2-यदि सभी इकाइयों की विशेषताएं समान है तो उचित निष्कर्ष प्राप्त नहीं होंगे।

5-कोटा या अभ्यंश प्रतिदर्श

Quota Sampling

प्रतिदर्श (SAMPLE) की कोटा या अभ्यंश विधि में जनसंख्या की इकाइयां की विशेषताओं के आधार पर कई भागों में बांट लिया जाता है। इन विभिन्न भागों का कुल जनसंख्या में अनुपात निर्धारित कर लिया जाता है। इसके बाद गणकों (Enumerators) को बता दिया जाता है कि उन्हें किस भाग में कितनी इकाइयां चुननी है| इस प्रकार प्रतिदर्श (SAMPLE) की इकाइयों का अभ्यंश या कोटा निश्चित कर दिया जाता है।

कोटा निश्चित करने के बाद गणक को यह अधिकार दिया जाता है कि प्रत्येक भाग में से निर्धारित कोटे के बराबर इकाईयों का चुनाव यादृच्छिक आधार पर स्वयं करें| इस प्रकार इस विधि में गणक को प्रतिदर्श चुनने का पूरा अधिकार होता है। यह विधि कम खर्चीली होती है। परंतु उसमें पक्षपात की संभावना अधिक होती है तथा निष्कर्ष की विश्वसनीयता की जांच की भी कम संभावना होती है।

6-सुविधानुसार प्रतिदर्श

Convenience Sampling

इस विधि में अनुसंधानकर्ता को इस बात की स्वतंत्रता होती है कि उसे जो तरीका सुविधाजनक मालूम पड़ता है उसी के अनुसार प्रतिदर्श (SAMPLE) का चुनाव करता है। यह विधि कम खर्चीली तथा सरल है। परंतु वैज्ञानिक और अविश्वसनीय है| इस प्रणाली में गणकों पर निर्भरता बढ़ जाती है।

प्रतिदर्श सांख्यिकी की विश्वसनीयता

Reliability of Sampling Data

प्रतिदर्श  की विश्वसनीयता मुख्य रूप से निम्न बातों पर निर्भर करती है-

1-प्रतिदर्श (SAMPLE) का आकार-

प्रतिदर्श (SAMPLE) की विश्वसनीयता प्रतिदर्श के आकार पर निर्भर करती है। यदि प्रतिदर्श (SAMPLE) का आकार बहुत कम होगा तो वह समग्र का ठीक प्रकार से प्रतिनिधित्व नहीं कर सकेगा। इसके फलस्वरूप उसके आधार पर निकाले गए निष्कर्षों में विश्वसनीयता का अभाव होगा।

2-प्रतिदर्श की विधि-

यदि प्रतिदर्श (SAMPLE) की विधि सरल तथा व्यापक नहीं होगी और पक्षपात रहित नहीं होगी तो समग्र का उचित प्रतिनिधित्व नहीं होगा। इसका परिणाम यह होगा कि प्रतिदर्श (SAMPLE) पर आधारित निष्कर्ष विश्वसनीय नहीं होंगे।

3-सूचकों और प्रगणकों में पक्षपात की भावना-

यदि सूचना देने वाले सूचकों या सूचना एकत्रित करने वाले प्रगणकों में पक्षपात की भावना होगी तो प्रतिदर्श (SAMPLE) संबंधी आंकड़े विश्वसनीय नहीं होंगे।

4-प्रगणकों का प्रशिक्षण-

प्रतिदर्श की विश्वसनीयता प्रगणकों के प्रशिक्षण पर निर्भर करती है। यदि प्रगणक प्रशिक्षित नहीं है। अर्थात अपने क्षेत्र के विशेषज्ञ नहीं हैं तो प्रतिदर्श (SAMPLE) में विश्वसनीयता का अभाव होगा।

जनगणना (CENSUS) तथा प्रतिदर्श (SAMPLE) विधि की तुलना

Comparison between Census and Sample Methods

1-क्षेत्र–

जनगणना (CENSUS) विधि में किसी समग्र की सभी मदों के संबंध में सूचना एकत्रित की जाती है। इसके विपरीत प्रतिदर्श (SAMPLE) विधि में समग्र से संबंध रखने वाली कुछ मद जो समग्र का प्रतिनिधित्व करती है, के संबंध में सूचना एकत्रित की जाती है।

2-उपयुक्तता-

जनगणना (CENSUS) विधि अनुसंधान के लिए अधिक उपयुक्त है जहां अनुसंधान का क्षेत्र सीमित है। इसके विपरीत प्रतिदर्श (SAMPLE) विधि का उपयोग बहुत अधिक मद वाले समग्र तथा उन सभी क्षेत्रों में उपयुक्त होगा जहां अनुसंधान क्षेत्र बड़ा है।

3-शुद्धता–

जनगणना (CENSUS) विधि द्वारा एकत्रित की गई सूचना में अधिक विश्वसनीयता तथा शुद्धता होती है। क्योंकि इसमें समग्र की प्रत्येक इकाई का गहन अध्ययन किया जाता है। इसकी तुलना में प्रतिदर्श (SAMPLE) विधि द्वारा एकत्रित की गई सूचना में शुद्धता तथा विश्वसनीयता कम होती है। क्योंकि समग्र में से केवल कुछ ही इकाइयों का अध्ययन किया जाता है। परंतु प्रतिदर्श (SAMPLE) विधि में मदों की संख्या कम होने के कारण गलती का पता आसानी से लगाया जा सकता है। इसलिए प्रतिदर्श (SAMPLE) विधि जनगणना (CENSUS) विधि की तुलना में अधिक विश्वसनीय हो सकती है।

4-लागत-

जनगणना (CENSUS) विधि की तुलना में प्रतिदर्श (SAMPLE) विधि में धन और श्रम कम लगता है। इसका कारण यह है कि जनसंख्या में से प्रतिदर्श (SAMPLE) का आकार जितना कम होगा उसके अनुसंधान की लागत उतनी ही कम होगी।

5-समय-

जनगणना (CENSUS) विधि में अधिक समय लगता है और निष्कर्ष निकालने में काफी विलंब हो जाता है। इसके विपरीत प्रतिदर्श (SAMPLE) विधि में समय कम लगता है और निष्कर्ष शीघ्रतापूर्वक प्राप्त हो जाते हैं।

6-मदों का स्वरूप-

जनगणना (CENSUS) हुई थी उस स्थिति में उपयोगी होती है जिनमें समग्र की मदें विजातीय होती है, अर्थात भिन्न-भिन्न प्रकार की होती हैं। इसके विपरीत प्रतिदर्श (SAMPLE) विधि वहां उपयोगी है जहां समग्र की मदों में समानता या सजातीयता पाई जाती है। कुछ दशाओं में जैसे यदि जांच के दौरान ही मदों के नष्ट होने का डर होता है तो प्रतिदर्श (SAMPLE) विधि द्वारा ही सर्वेक्षण किया जाता है।

7-सत्यता की जांच-

समग्र विधि द्वारा किए गए अन्वेषण में संदेह होने पर दोबारा से अन्वेषण करना कठिन होता है। अन्वेषण कार्य का निरीक्षण करना भी कठिन होता है। इसके विपरीत प्रतिदर्श (SAMPLE) विधि में अन्वेषण कार्य का निरीक्षण करना कठिन नहीं होता| अन्वेषण में किसी प्रकार का संदेह होने पर दोबारा अनुसंधान करके तथ्यों की जांच की जा सकती है।

संक्षेप में हम कह सकते हैं कि प्रतिदर्श (SAMPLE) विधि सर्वेक्षण की अधिक उपयुक्त विधि है। क्योंकि इसमें लागत तथा समय कम लगता है। जबकि निष्कर्ष लगभग जनसंख्या विधि के ही समान होते हैं। परंतु प्रतिदर्श (SAMPLE) विधि की सफलता के लिए यह आवश्यक है कि प्रतिदर्श समग्र का अधिक से अधिक सीमा का प्रतिनिधित्व करने वाले हो।

सांख्यिकी त्रुटियां-प्रतिदर्श त्रुटियां तथा अप्रतिदर्श त्रुटियां

Statistical Errors : Sampling and Non-Sampling Errors

सांख्यिकी त्रुटियों को निम्न भागों में वर्गीकृत किया जाता है-

  • प्रतिदर्श (SAMPLE) त्रुटियां और
  • अप्रतिदर्श (SAMPLE) त्रुटियां।

1-प्रतिदर्श त्रुटियां

इन त्रुटियों का संबंध अध्ययन के लिए चुने गए प्रतिदर्श (SAMPLE) की संख्या तथा प्रकृति से है। कई बार प्रतिदर्श अनुमान तथा वास्तविक अनुमान में अंतर होता है। क्योंकि प्रतिदर्श के लिए बहुत छोटा समूह चुना जाता है। अन्य शब्दों में प्रतिदर्श चुनने के समय जो त्रुटियां होती है या गलत प्रतिदर्श (SAMPLE) सुनने संबंधी त्रुटियों को प्रतिदर्श (SAMPLE) त्रुटियां कहते हैं।

2-अप्रतिदर्श त्रुटियां

ऐसी त्रुटियां आंकड़ों के संग्रहण के दौरान होती हैं। यह त्रुटियां निम्न प्रकार की होती है-

a) मापन संबंधी त्रुटियां-

इन त्रुटियों के कई कारण होते हैं। जैसे

  • i) विभिन्न तरह के मापक के उपकरण के प्रयोग की वजह से
  • ii) गणनाकारों का आंकड़ों का विभिन्न तरह से पूर्णांकित (Round figure) करने की वजह से।

b) अनुत्तर संबंधी त्रुटियां-

यह त्रुटियां कब उत्पन्न होती है जब उत्तरदाता प्रश्नावली को भरने से इनकार कर देता है या किसी विशेष प्रश्न का उत्तर देने से इंकार कर देता है।

c) प्रश्नावली के दुरुपयोग संबंधी त्रुटियां-

यह त्रुटियां तब उत्पन्न होती है जब उतर जाता प्रश्नावली के प्रश्नों को गलत समझ कर उनका गलत उत्तर देते हैं।

d) अंकगणितीय त्रुटियां-

गणना विधि के दौरान आंकड़ों के जोड़, घटाव तथा गुणा इत्यादि के वक्त कुछ त्रुटियां उत्पन्न हो जाती है। इन्हें अंकगणितीय त्रुटियां कहते हैं।

e) प्रतिदर्श पक्षपात की त्रुटि-

यह त्रुटि तब उत्पन्न होती है जब एक आदर्श प्रतिदर्श (SAMPLE) को पक्षपात की वजह से चुनाव में सम्मिलित नहीं किया जाता।

संक्षेप में हम कह सकते हैं कि अनुसंधान का क्षेत्र जितना बड़ा होगा या जनसंख्या का आकार जितना बड़ा होगा आंकड़ों को एकत्रित करने से संबंधित त्रुटियों की संभावना उतनी ही अधिक होती है। यहां पर यह बात इस बात पर ध्यान देना आवश्यक होता है कि एक अप्रतिदर्श त्रुटि प्रतिदर्श त्रुटि की तुलना में ज्यादा गंभीर होती हैं। क्योंकि प्रतिदर्श त्रुटि को एक बड़े प्रतिदर्श (SAMPLE) आकार द्वारा कम किया जा सकता है। जबकि ऐसी कोई संभावना अप्रतिदर्श त्रुटियों की दशा में नहीं होती।

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